हल्दीघाटी
हल्दीघाटी इतिहास में महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हुए युद्ध के लिए प्रसिद्ध है। यह राजस्थान में एकलिंगजी से 18 किलोमीटर की दूरी पर है। यह अरावली पर्वत शृंखला में एक दर्रा है। यह राजसमन्द जिले में स्थित है यह उदयपुर से ४० किमी की दूरी पर है। इसका नाम 'हल्दीघाटी' इसलिये पड़ा क्योंकि यहाँ की मिट्टी हल्दी जैसी पीली है।
मुख्य हल्दीघाटी दर्रा |
युद्ध बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप के मध्य दिनांक 18 जून, 1576 ई. स्थान हल्दीघाटी (राजस्थान) 'हल्दीघाटी का युद्ध' भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध है भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध राजस्थान का वह ऐतिहासिक स्थान है, जहाँ महाराणा प्रताप ने अपनी मातृभूमि की लाज बचाये रखने के लिए असंख्य युद्ध लड़े और शौर्य का प्रदर्शन किया। हल्दीघाटी राजस्थान के उदयपुर ज़िले से 27 मील (लगभग 43.2 कि.मी.) उत्तर-पश्चिम एवं नाथद्वारा से 7 मील (लगभग 11.2 कि.मी.) पश्चिम में स्थित है। यहीं सम्राट अकबर की मुग़ल सेना एवं महाराणा प्रताप तथा उनकी राजपूत सेना में 18 जून, 1576 को भीषण युद्ध हुआ। इस युद्ध में प्रताप के साथ कई योद्धाओं सहित हकीम ख़ाँ सूर भी उपस्थित था। इस युद्ध में राणा प्रताप का साथ स्थानीय भीलों ने दिया, जो इस युद्ध की मुख्य बात थी। मुग़लों की ओर से राजा मानसिंह सेना का नेतृत्व कर रहे थे।
रक्त तलाई
हल्दीघाटी में युद्ध के लिए जगह का अभाव होने की वजह से दोनों सेनाओं ने 2 km आगे स्थित खमनोर में मैदान ( जिसको वर्तमान में रक्त्तालाई नाम से जाना जाता है ) में आकर युद्ध किया | ऐसा माना जाता है की इस युद्ध में यहाँ खून का तालाब सा भर गया था जिसकी वजह से रक्त्तालाई नाम पड़ा | यह क्षेत्र भारतीय पुरातत्व विभाग की देखरेख में सरंक्षित है तथा यहाँ का मुख्य पर्यटक केंद्र है |
महाराणा प्रताप ने उम्र भर संघर्षपूर्वक जीवनयापन किया महलो में सोने वाले महाराणा ने अपनी मात्रभूमि की रक्षा के लिए जीवन भर कष्टों को सहते रहे अपने स्वाभिमान से समझोता नही किया व अपनी मात्रभूमि को गुलाम नही होने दिया |
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